Low Floor Bus, This Buses are Dangerous for Society
उप्पर का वीडियो देख कर अधिक जानकारी प्राप्त करे ।
लेखक: आयुष 8233194639
India में विकास के साथ-साथ पर्यावरण आधरित संघर्ष भी बढ़ते जा रहे हैं। ये आम आदमी के परम्परागत अधिकारों से वंचित होने की पीडा को दर्शाते हैं। जो आम आदमी को अपने परम्परागत अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने पर मजबूर करते है।
जयपुर के परकोटे में बन रही मेट्रो ने जहा एक तरफ जयपुर की विरासत को नुक्सान पहुंचाया है वही दूसरी और जयपुर में चल रही JCTSL की "लौ फ्लोरे बस" ने भी गुलाबी नगरी को काली नगरी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
"केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" के अनुसार आज जयपुर (गुलाबी नगर) भारत का 11 नंबर का सबसे प्रदूषित शहर है जहा की वायु में हानिकारक कणों का मामला सुरक्षित सीमा से अधिक है
मौजूदा समय में जयपुर शहर में बढ़ते प्रदुषण का एक बड़ा कारण शहर की "लौ फ्लोर बस" है जो न की सिर्फ बच्चो, स्कूल व् कॉलेज स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी बहुत हानिकारक है व् ये वायु अस्वस्थ करके सरकार के नारे "स्वच्छ जयपुर स्वस्थ जयपुर" को भी असफल बना रहा है, इस समस्या को समय समय पर शहर का मीडिया अपने अख़बारों व् न्यूज़ चैनलो पर प्रकाशित कर रहा है ताकि समय रहते प्रशाशन का ध्यान जाये और इस मुद्दे पर ठोस कदम जल्द उठाये, लेकिन अब लौ फ्लोर बस से जिम्मेदार अधिकारी ये तर्क दे रहे है की लौ फ्लोर बस बदली जायेगी और नयी बसे लायी जायेगी जिसमे इंजन पीछे की जगह आगे होगा जिससे लौ फ्लोर बस प्रदुषण कम फैलाएगी, तो अब यहां क्या आम जन की समस्या खत्म हो जाएगी क्योकि समस्या तो कई है आये दिन परकोटे की कम चौड़ाई सड़क पर लौ फ्लोर बस चलने से "ट्रैफिक जाम होजाना, बढ़ता शोर व् शहरी क्षेत्र में निर्धारित 30 की जगह 60 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ाकर नियंत्रण खोना और आये दिन लौ फ्लोर से होने वाली मौत की दुर्घटना" हमें मानसिक रूप से विकलांग बना रही है।
यह आम जन के परम्परागत अधिकारेां की रक्षा की बात हैं जिसमे आज जयपुर शहर का हर प्रकार का आम जन अपनी 3 से 5 हुई मूल आवश्यकता रोटी, कपडा मकान के साथ साथ स्वास्थ्य और शिक्षा में से एक स्वास्थ्य के हक़ के लिए एक साथ खड़ा होकर मांग कर रहा है और यहां तक कि सरकार को हर साल 20 करोड़ का नुक्सान लौ फ्लोर बस चलने से होता है जिस नुक्सान की भरपाई जनता से कर के रूप में की जाती है व् स्वच्छ भारत के रूप में भी जनता से 0 .5 प्रतिशत उपकर लिया जाता है, जनता से ये दोगुना कर लेने के बावजूद इस जानलेवा लोफ्लोर बस के पहिये शहर में थमते नजर नहीं आ रहे है ।
Low Floor Bus, This Buses are Dangerous for Society
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लेखक: आयुष 8233194639
India में विकास के साथ-साथ पर्यावरण आधरित संघर्ष भी बढ़ते जा रहे हैं। ये आम आदमी के परम्परागत अधिकारों से वंचित होने की पीडा को दर्शाते हैं। जो आम आदमी को अपने परम्परागत अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने पर मजबूर करते है।
जयपुर के परकोटे में बन रही मेट्रो ने जहा एक तरफ जयपुर की विरासत को नुक्सान पहुंचाया है वही दूसरी और जयपुर में चल रही JCTSL की "लौ फ्लोरे बस" ने भी गुलाबी नगरी को काली नगरी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
"केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" के अनुसार आज जयपुर (गुलाबी नगर) भारत का 11 नंबर का सबसे प्रदूषित शहर है जहा की वायु में हानिकारक कणों का मामला सुरक्षित सीमा से अधिक है
मौजूदा समय में जयपुर शहर में बढ़ते प्रदुषण का एक बड़ा कारण शहर की "लौ फ्लोर बस" है जो न की सिर्फ बच्चो, स्कूल व् कॉलेज स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी बहुत हानिकारक है व् ये वायु अस्वस्थ करके सरकार के नारे "स्वच्छ जयपुर स्वस्थ जयपुर" को भी असफल बना रहा है, इस समस्या को समय समय पर शहर का मीडिया अपने अख़बारों व् न्यूज़ चैनलो पर प्रकाशित कर रहा है ताकि समय रहते प्रशाशन का ध्यान जाये और इस मुद्दे पर ठोस कदम जल्द उठाये, लेकिन अब लौ फ्लोर बस से जिम्मेदार अधिकारी ये तर्क दे रहे है की लौ फ्लोर बस बदली जायेगी और नयी बसे लायी जायेगी जिसमे इंजन पीछे की जगह आगे होगा जिससे लौ फ्लोर बस प्रदुषण कम फैलाएगी, तो अब यहां क्या आम जन की समस्या खत्म हो जाएगी क्योकि समस्या तो कई है आये दिन परकोटे की कम चौड़ाई सड़क पर लौ फ्लोर बस चलने से "ट्रैफिक जाम होजाना, बढ़ता शोर व् शहरी क्षेत्र में निर्धारित 30 की जगह 60 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ाकर नियंत्रण खोना और आये दिन लौ फ्लोर से होने वाली मौत की दुर्घटना" हमें मानसिक रूप से विकलांग बना रही है।
यह आम जन के परम्परागत अधिकारेां की रक्षा की बात हैं जिसमे आज जयपुर शहर का हर प्रकार का आम जन अपनी 3 से 5 हुई मूल आवश्यकता रोटी, कपडा मकान के साथ साथ स्वास्थ्य और शिक्षा में से एक स्वास्थ्य के हक़ के लिए एक साथ खड़ा होकर मांग कर रहा है और यहां तक कि सरकार को हर साल 20 करोड़ का नुक्सान लौ फ्लोर बस चलने से होता है जिस नुक्सान की भरपाई जनता से कर के रूप में की जाती है व् स्वच्छ भारत के रूप में भी जनता से 0 .5 प्रतिशत उपकर लिया जाता है, जनता से ये दोगुना कर लेने के बावजूद इस जानलेवा लोफ्लोर बस के पहिये शहर में थमते नजर नहीं आ रहे है ।

Bahut khub bhaisab samdjik karya m ham San aap keep sath hai, aap ke sath kadam se kadam milaakar sangarsh karenge jai hind
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